नारकीय जीवन जी रहे घुमंतू समुदाय के लोग, पहचान के अभाव में सरकारी सुविधाओं से है वंचित

बृज विश्वविद्यालय, भरतपुर में मुख्यधारा की तलाश में घुमंतू विषय पर हुआ मंथन
महाराजा सूरजमल बृज विश्वविद्यालय के सामजिक विज्ञान संकाय एवं घुमंतू जाति उत्थान न्यास के संयुक्त तत्वाधान में एक दिवसीय राष्ट्रीय गोष्ठी का आयोजन किया गया।
विश्वविद्यालय परिसर में आयोजित गोष्ठी में कंजर , मुख्यधारा की तलाश में घुमंतू समुदाय है विषय पर वक्ताओं ने अपने विचार रखें। संगोष्ठी का शुभारम्भ विमुक्त,घुमंतू व अर्द्ध घुमंतू समुदाय विकास एवं कल्याण बोर्ड़ के सदस्य कृष्णचन्द्र सिसोदिया, कुल सचिव डॉ. अरूण कुमार पाण्डे़य एवं आयोजन सचिव डॉ. फरवट सिंह द्वारा किया गया।
कार्यक्रम में उपस्थित अखिल भारतीय घुमंतू कार्य प्रमुख दुर्गादास जी ने अपने संबोधन में कहा घुमंतू समुदायों का जीवन बहुत ही नारकीय है। देश में 10 – 15 करोड़ लोग इस समुदाय के अन्तर्गत आते है। इन्हें सरकार की कोई योजना का लाभ नहीं मिलता है। आधार कार्ड़, भामाशाह कार्ड़ नहीं बनने से यह राजकीय सुविधाओं से वंचित रह जाते है।
सिसोदिया ने कहा कि यह जाति अपनी सामुदायिक एकता के लिए प्रसिद्ध है। इनकी पंचायत शक्तिशाली व सर्वमान्य होती है। नृत्य व गायन इनका परम्परागत कार्य है। विशिष्ट अतिथी महेन्द्र जी मग्गो ने कहा इस समुदाय के उत्थान के लिए केन्द्र और राज्य सरकार का ध्यान आकर्षित करना चाहिए। उन्होंने कहा सरकार की योजनाओं का लाभ इन्हें नहीं मिल पाता केवल कागजों मंे ही लाभ दिखाई देता है। इन्हें समुचित लाभ दिलाने की आवश्यकता है।
कुल सचिव ने कहा कंजर एक ऐसा समाज है जिनके पास ना जमीन है,ना आधार कार्ड है इस समुदाय की मूूलभूत सुविधाओं का उचित समाधान जरूरी है। संगोष्ठी में सन्त निर्वाणा महाराज, प्रो. एससी राजौरा, मोहनलाल गिहारा, जीतू पटवारी, गोविंद गुप्ता, आरएसएस के विभाग संघ चालक सहित घुमंतू जाति उत्थान न्यास के प्रांत टोली के वेदप्रकाश पटेल भी उपस्थित रहे।

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