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“सिकलीगर समुदाय: संस्कृति, विरासत और उत्थान” विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी संपन्न I देश के सर्वांगीण विकास के लिए घुमंतू जातियों का विकास जरूरी

आज स्थानीय जनार्दनराय नागर राजस्थान विश्वविद्यालय , उदयपुर एवं घुमंतू जाति उत्थान न्यास के संयुक्त तत्वावधान में “सिकलीगर समुदाय: संस्कृति, विरासत और उत्थान” विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी संपन्न हुई। कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि राजस्थान सरकार में जनजाति मंत्री श्री बाबूलाल जी खराड़ी, मुख्य वक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्र सेवा प्रमुख आ.शिव लहरी जी , विशिष्ट अतिथि सांसद चुन्नीलाल जी गरासिया, घुमंतू कार्य प्रमुख महावीर जी शर्मा, राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिल्पी गोपीलाल जी लोहार रहे और अध्यक्षता उपकुलपति प्रो. शिव सिंह सारंगदेवोत जी रहे।
प्रारंभ में उपकुलपति प्रो.सारंगदेवोत जी ने विषय की प्रस्तावना रखते हुए बताया कि मुख्यत: हथियार बनाने वाले इस सिकलीगर समुदाय को यह नाम दशम गुरु गोबिंद सिंह जी महाराज ने दिया और इसका शाब्दिक अर्थ “चमक” होता है। विकास की दौड़ में यह समाज कहीं पीछे छूट गया था जिसे आर्थिक, सामाजिक एवं शैक्षणिक दृष्टिकोण से आगे बढ़ाने का उत्तरदायित्व हम सबका सामूहिक रूप से है।

प्रो वीणा जी सनाढ्य ने घुमंतू जातियों की पृष्ठभूमि, भौगोलिक विस्तार की जानकारी देते हुए सभी सत्रों के विषयवस्तु की जानकारी दी।

राज्यसभा सांसद श्री चुन्नीलाल जी गरासिया ने इन घुमंतू जातियों के प्रति सहयोगात्मक व्यवहार अपनाने का आह्वान किया।

मुख्य अतिथि श्री बाबूलाल जी खराडी ने देश में हिंदू समाज को विशेषतः वनवासी जनजाति समुदाय को विभाजित करने के अंतरराष्ट्रीय षड्यंत्र “जनजाति समुदाय हिंदू नहीं है” को इंगित करते हुए कहा कि जनजाति समाज हिंदू था, है और रहेगा।देश के सर्वांगीण विकास के लिए घुमंतू जातियों का विकास जरूरी
उद्घाटन सत्र के मुख्य वक्ता श्री शिव लहरी जी ने अपने उद्बोधन में बताया कि 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में इन घुमंतू जातियों द्वारा बनाए गए हथियारों, रसद सामग्री पहुंचाने की महत्वपूर्ण भूमिका को समझते हुए 1878 में आर्म्स एक्ट लागू कर हथियार बनाने और घर में रखने को अवैध घोषित कर दिया और भारत के कुटीर उद्योगों, व्यापार व्यवस्था को समाप्त करने के षड्यंत्र के अंतर्गत इन घुमंतू जातियों बंजारा, नट, कालबेलिया, गाड़िया लोहार, रेबारी, मोंगिया, सिकलीगर इत्यादि को जन्मगत अपराधी घोषित करके इन्हें अपनी परंपरागत व्यवसायों से वंचित कर दिया गया जिससे ये जातियां पिछड़ती चली गईं। विभिन्न तकनीकी सत्र में वक्ता वरिष्ठ अधिवक्ता प्रवीण जी खंडेलवाल, उज्जैन से प्रो.प्रशांत जी पौराणिक, डा.मनीष जी श्रीमाली,राजेंद्र जी सिकलीगर रहे। समाराेप कार्यक्रम में मुख्य अतिथि उदयपुर शहर विधायक ताराचंद जी जैन तथा विशिष्ट अतिथि मावली के पूर्व विधायक धर्मनारायण जी जोशी रहे।
धन्यवाद और आभार प्रदर्शन न्यास के राजस्थान क्षेत्र के संयोजक महावीर प्रसाद जी शर्मा की ओर से किया गया।कार्यक्रम में घुमंतु जाति उत्थान न्यास से क्षेत्र घुमंतू प्रमुख महेंद्र सिंह जी, विभाग संघचालक मा. हेमेंद्र जी श्रीमाली, चित्तौड़ प्रांत घुमन्तु कार्य संयोजक प्रभुलाल जी कालबेलिया, पुष्कर जी लोहार, मगन जी जोशी, नरेंद्र जी सोनी,विभाग से सुरेंद्र जी खराड़ी ,नाहर सिंह जी और महानगर से चुन्नीलाल जी पटेल ,ललित जी सोलंकी और बाबरू जी गाडरी की उपस्थिति रही।

This Post Has 2 Comments

  1. Dr. Vilas Gaikwad

    सिकलीगर समुदाय: संस्कृति, विरासत और उत्थान राष्ट्रीय संगोष्ठी की रिसर्च पेपर की जानकारी चाहिए. उसका बुक छपा हुआ होगा तो मुझे भेज दीजिए अथवा उसकी पीडीएफ फाइल होगी तो भी चलेगी. आपने जो विषय संगोष्ठी का हे वह बहुतही उपयुक्त साबीत होगा. कृपया भेजे.
    – डॉ.विलास गायकवाड, औरंगाबाद महाराष्ट्र मो.9604363032

  2. Dr. Vilas Gaikwad, Dr. Babasajeb Ambedkar marathwad University Aurangabad , Maharashtra

    Dr. Vilas Gaikwad, Dr. Babasajeb Ambedkar marathwad University Aurangabad , Maharashtra, Mo. 9604363032

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